लेकिन अब जब खबरें सामने आ रही हैं कि टिकटॉक की वापसी भारत में हो सकती है, तो वही लोग बयान बदलते नज़र आ रहे हैं। अब तर्क दिया जा रहा है कि यह चीन से समझौता करके अमेरिका को झटका देने की रणनीति है। यानी मोदी सरकार चाहे जो भी कदम उठाए, उसे मास्टरस्ट्रोक ही बताया जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि टिकटॉक जैसे ऐप्स पर प्रतिबंध केवल राजनीतिक संदेश देने के लिए लगाए गए थे। भारत में टिकटॉक बैन से लाखों क्रिएटर्स की आजीविका पर असर पड़ा और कई छोटे कंटेंट क्रिएटर्स को अपना करियर बदलना पड़ा। यूट्यूब शॉर्ट्स और इंस्टाग्राम रील्स को बूस्ट जरूर मिला, लेकिन भारतीय ऐप्स ज्यादा समय तक टिक नहीं पाए।
अब अगर टिकटॉक भारत में वापस आता है तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि बैन करने की असल वजह क्या थी और अब उसकी वापसी की वजह क्या है। विपक्ष का कहना है कि यह फैसले जनता की भलाई से ज्यादा राजनीतिक लाभ और अंतरराष्ट्रीय दबाव के आधार पर लिए जाते हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर जमकर बहस छिड़ी हुई है। कई लोग कह रहे हैं कि टिकटॉक की वापसी से एक बार फिर भारतीय युवाओं को प्लेटफ़ॉर्म मिलेगा, जबकि विरोधियों का कहना है कि यह डिजिटल सुरक्षा से समझौता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि भारत में किसी भी नीति को किस तरह राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है। टिकटॉक बैन हो या उसकी वापसी, सरकार समर्थक इसे मास्टरस्ट्रोक ही बताते हैं और विरोधी इसे विफल नीति करार देते हैं।