सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के सिलगेर गाँव में नक्सलियों ने एक अस्थायी शिक्षक की बेरहमी से हत्या कर दी। मृतक शिक्षक का नाम लक्ष्मण बारसे है, जो महज़ 12 हजार रुपये की सैलरी पर स्थानीय बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे थे।
जानकारी के मुताबिक, सोमवार रात नक्सली लक्ष्मण बारसे के घर में घुसे और उनकी पत्नी व परिवार के सामने ही उनकी हत्या कर दी। नक्सलियों को शक था कि वह पुलिस को जानकारी देते थे, इसी शक में उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया।
शिक्षा के प्रति समर्पित थे लक्ष्मण
लक्ष्मण बारसे ने अपने जीवन को आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया था। सीमित वेतन और कठिन परिस्थितियों में भी वे बच्चों को पढ़ाने का काम जारी रखे हुए थे। स्थानीय लोग उन्हें एक सच्चा शिक्षक और समाजसेवी मानते थे।
चुप्पी पर उठ रहे सवाल
इस जघन्य हत्या के बाद भी न तो विपक्षी नेताओं की कोई प्रतिक्रिया सामने आई और न ही तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग की कोई आवाज़। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि बड़े विश्वविद्यालयों और राजनीतिक मंचों पर इस पर कोई आक्रोश या रैली क्यों नहीं दिख रही है।
मीडिया का ध्यान नहीं
स्थानीय लोगों का आरोप है कि राष्ट्रीय मीडिया इस दर्दनाक घटना पर चुप्पी साधे हुए है। लोग कह रहे हैं कि मीडिया और बड़े पत्रकार दूसरे मुद्दों में उलझे हुए हैं, जबकि एक शिक्षक की नृशंस हत्या पर देशव्यापी बहस होनी चाहिए।
सरकार से मदद की मांग
स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से अपील की है कि मृतक शिक्षक के परिवार को सरकारी नौकरी या 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए, ताकि उनके परिवार को सहारा मिल सके।