नमस्कार साथियों,
आज हम एक ऐसी योजना के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसने लाखों महिलाओं की ज़िंदगी को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने का काम किया है। यह योजना है – जननी सुरक्षा योजना।
📌 परिचय
भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है, जहां एक समय पर मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर अत्यधिक थी। खासकर ग्रामीण और गरीब वर्ग की महिलाएं अक्सर असुरक्षित हालात में घर पर ही प्रसव करती थीं, जिससे कई बार माँ और नवजात दोनों की जान पर बन आती थी। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2005 में जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana - JSY) की शुरुआत की।
यह योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत चलाई जा रही है और इसका उद्देश्य है – गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित, संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित करना और मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करना।
🎯 उद्देश्य
इस योजना के मुख्य उद्देश्य हैं:
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संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना
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मातृ और नवजात शिशु की मृत्यु दर में कमी लाना
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गरीब और पिछड़े तबके की महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच देना
🧾 पात्रता
अब सवाल यह उठता है कि किन महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल सकता है?
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महिला की आयु 19 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
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वह गरीबी रेखा के नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाली हो।
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उसे पहले या दूसरे बच्चे की डिलीवरी होनी चाहिए।
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कुछ राज्यों में SC/ST वर्ग की सभी महिलाएं भी पात्र मानी जाती हैं।
💰 लाभ व सहायता राशि
जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव के लिए नकद सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि राज्य और क्षेत्र (ग्रामीण/शहरी) के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
उदाहरण के लिए:
ग्रामीण क्षेत्र में:
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महिला को ₹1,400 की सहायता
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आशा कार्यकर्ता को ₹600
शहरी क्षेत्र में:
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महिला को ₹1,000 की सहायता
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आशा कार्यकर्ता को ₹400
इसके अतिरिक्त यदि किसी सरकारी अस्पताल में सी-सेक्शन डिलीवरी की आवश्यकता होती है और विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, तो ₹1,500 तक की अतिरिक्त सहायता दी जाती है ताकि निजी विशेषज्ञ को बुलाया जा सके।
👩⚕️ आशा कार्यकर्ता की भूमिका
इस योजना की रीढ़ मानी जाती हैं – आशा कार्यकर्ता (ASHA Worker)।
ये कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण करती हैं, उन्हें प्रसवपूर्व देखभाल की जानकारी देती हैं और संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करती हैं। प्रसव के बाद भी वे नवजात की देखभाल और टीकाकरण की निगरानी करती हैं। उनकी मेहनत और समर्पण के लिए उन्हें भी प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
📝 आवेदन प्रक्रिया
अब जानते हैं कि इस योजना का लाभ कैसे लिया जा सकता है:
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गर्भवती महिला को नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र या आंगनबाड़ी में जाकर पंजीकरण कराना होता है।
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पंजीकरण के समय आवश्यक दस्तावेज:
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BPL कार्ड या राशन कार्ड
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आधार कार्ड
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प्रसूता की आयु का प्रमाण
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बैंक खाता विवरण
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आशा कार्यकर्ता महिला को प्रसव के समय अस्पताल पहुंचाने में सहायता करती हैं।
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संस्थागत प्रसव के बाद, सत्यापन के उपरांत सहायता राशि सीधे महिला के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।
📈 अब तक की उपलब्धियाँ
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योजना के शुरुआत के बाद से ही संस्थागत प्रसव की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
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भारत में मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
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गरीब और पिछड़े तबके की महिलाओं को सम्मानजनक और सुरक्षित प्रसव का अवसर मिला है।
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जननी सुरक्षा योजना ने न केवल महिलाओं की जान बचाई है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और सम्मान भी दिया है।
🧩 कुछ चुनौतियाँ
हालांकि यह योजना काफी सफल रही है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं:
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कई बार सहायता राशि समय पर नहीं मिलती।
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कुछ क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ताओं की संख्या कम है।
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लोगों में अभी भी योजना के बारे में जानकारी की कमी है।
इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। तकनीक के इस्तेमाल से प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाया जा रहा है।
🙌 निष्कर्ष
जननी सुरक्षा योजना एक ऐतिहासिक कदम है, जो भारत को एक सुरक्षित मातृत्व की दिशा में ले जा रहा है। इस योजना के माध्यम से न सिर्फ गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल रहा है, बल्कि उनका और उनके बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित हो रहा है।
हमें चाहिए कि हम सभी मिलकर इस योजना के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करें, खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में, ताकि कोई भी महिला प्रसव के समय असुरक्षित महसूस न करे।
आइए, मिलकर एक ऐसा भारत बनाएं – जहां हर माँ को सुरक्षा मिले, हर बच्चा स्वस्थ जन्म ले, और हर परिवार मुस्कान से भरा हो।
धन्यवाद!