रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में आर्थिक सहायता का मजबूत जरिया बनकर उभरी है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के लाखों भूमिहीन कृषि मजदूरों को वार्षिक आधार पर आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे उनकी आजीविका को स्थायित्व और सम्मान मिल रहा है।
इस योजना का उद्देश्य उन ग्रामीण मजदूरों को सीधा लाभ पहुंचाना है जो स्वयं के भूमि स्वामित्व के बिना कृषि कार्य में संलग्न रहते हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि राज्य सरकार की यह पहल न केवल सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक सार्थक कदम है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाने का प्रयास है।
कैसे मिलता है लाभ?
इस योजना के तहत पात्र भूमिहीन कृषि मजदूरों को प्रति वर्ष निर्धारित राशि सरकार द्वारा उनके बैंक खातों में सीधे स्थानांतरित की जाती है। यह सहायता राशि बिना किसी मध्यस्थता के, डीबीटी (Direct Benefit Transfer) प्रणाली के माध्यम से दी जाती है।
योजना के लाभार्थी कौन हैं?
- भूमिहीन कृषि श्रमिक
- चरवाहा, मछुआरा, बढ़ई, लोहार, कुम्हार आदि ग्रामीण पारंपरिक कार्य से जुड़े श्रमिक
- जिनके पास कृषि योग्य भूमि नहीं है, लेकिन जीवनयापन कृषि श्रम या उससे जुड़ी सेवाओं से होता है।
अब तक के आंकड़े
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 में इस योजना के तहत लगभग 4 लाख से अधिक पात्र श्रमिकों को शामिल किया गया है। अब तक करोड़ों रुपये की राशि हितग्राहियों को प्रदान की जा चुकी है।
विपक्ष का दृष्टिकोण
हालांकि, कुछ विपक्षी दलों द्वारा इस योजना के क्रियान्वयन पर सवाल भी उठाए गए हैं, लेकिन राज्य सरकार का दावा है कि यह योजना पूरी पारदर्शिता और तकनीकी निगरानी के साथ संचालित की जा रही है।
राजीव गांधी न्याय योजना राज्य के उन मेहनतकश लोगों के लिए आशा की किरण है, जो अब तक सरकारी योजनाओं से अछूते रहे थे। यह पहल सामाजिक न्याय, आर्थिक समावेशन और ग्रामीण विकास की दिशा में छत्तीसगढ़ की सरकार का एक सराहनीय कदम है।