बलरामपुर|छत्तीसगढ़ :
भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को ऊर्जा सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा तोहफा दिया है। किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (कुसुम योजना) के अंतर्गत अब किसान 30% केंद्र और 30% राज्य सरकार की सब्सिडी के साथ सोलर पंप स्थापित कर सकते हैं, जिससे न केवल सिंचाई की लागत घटेगी, बल्कि अतिरिक्त बिजली बेचकर आमदनी भी होगी।
क्या है कुसुम योजना?
कुसुम योजना
की शुरुआत भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य है:
- किसानों को डीजल पर निर्भरता से मुक्त कराना
- सोलर एनर्जी के जरिए सिंचाई सुविधा प्रदान करना
- किसानों को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना
- अतिरिक्त बिजली उत्पादन कर राज्य विद्युत बोर्ड को बेचना
योजना के तीन प्रमुख घटक:
घटक | विवरण |
---|---|
Component A | किसानों को 500 KW से 2 MW तक सोलर प्लांट लगाने की अनुमति |
Component B | स्टैंडअलोन सोलर पंप — डीजल पंप की जगह सोलर पंप |
Component C | ग्रिड से जुड़े पंपों का सोलराइजेशन — बिजली बेचने की सुविधा |
किसान कैसे उठा सकते हैं लाभ?
- जिन किसानों के पास स्वयं की भूमि है, वे सोलर प्लांट लगा सकते हैं।
- जिनके पास सिंचाई के लिए डीजल या बिजली पंप हैं, वे इसे सोलर पंप में बदल सकते हैं।
- किसान अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजकर सालाना लाखों रुपये कमा सकते हैं।
कितना खर्च और कितनी सब्सिडी?
- कुल लागत पर 60% सब्सिडी (30% केंद्र + 30% राज्य)
- शेष 40% राशि किसान द्वारा स्वयं या बैंक ऋण के माध्यम से दी जा सकती है।
आवेदन की प्रक्रिया
- संबंधित राज्य सरकार की ऊर्जा विभाग या कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाएं।
- कुसुम योजना ऑनलाइन फॉर्म भरें।
- आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें:
- आधार कार्ड
- जमीन के कागज
- बैंक पासबुक
- फोटो
- सब्सिडी एवं लोन की जानकारी प्राप्त करें।
क्या बोले विशेषज्ञ?
ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कुसुम योजना का क्रियान्वयन प्रभावी तरीके से होता है, तो भारत में कृषि क्षेत्र में ऊर्जा की लागत 60% तक घट सकती है। साथ ही, किसानों को स्थायी और दीर्घकालिक आमदनी का स्रोत भी मिलेगा।
कुसुम योजना हेल्पलाइन:
- राष्ट्रीय टोल फ्री नंबर: 1800-180-3333
- अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट देखें: mnre.gov.in
विशेष नोट:
छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इस योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है। राज्य सरकारें विशेष जागरूकता अभियान भी चला रही हैं ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ ले सकें।