नई दिल्ली :
दिल्ली पुलिस विभाग ने वर्दी की गरिमा को बनाए रखने के उद्देश्य से एक बड़ा फैसला लिया है। अब कोई भी पुलिसकर्मी वर्दी पहनकर सोशल मीडिया पर रील, वीडियो या किसी भी तरह की मनोरंजन सामग्री पोस्ट नहीं कर सकेगा। विभाग ने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि यदि कोई कर्मचारी वर्दी का निजी प्रचार या मनोरंजन के लिए दुरुपयोग करता है, तो उसके खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
वर्दी की गरिमा और अनुशासन का सवाल
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि वर्दी केवल एक पोशाक नहीं, बल्कि संविधान, कानून और देश की सेवा का प्रतीक है। इसका प्रयोग केवल ड्यूटी के दौरान ही किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर व्यक्तिगत लोकप्रियता के लिए वर्दी का प्रदर्शन, इस गरिमा का अपमान है। यह अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है और इससे विभाग की छवि भी धूमिल होती है।
सोशल मीडिया पर बढ़ती गतिविधियों पर चिंता
पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि दिल्ली पुलिस के कई जवान वर्दी पहनकर Instagram, Facebook, और YouTube जैसे प्लेटफॉर्म पर रील्स बनाते नज़र आ रहे थे। इनमें कभी डांस, कभी एक्टिंग तो कभी फनी वीडियो शामिल होते हैं। इन रील्स को लाखों व्यूज़ मिलते थे, जिससे कुछ जवान सोशल मीडिया सेलेब्रिटी तक बन गए। लेकिन विभाग के अनुसार यह चलन अनुशासन के विरुद्ध है।
आदेश की मुख्य बातें:
- वर्दी में कोई भी रील या वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करना पूर्णतः प्रतिबंधित है।
- ऐसा करने पर संबंधित कर्मी के विरुद्ध डिपार्टमेंटल एक्शन (विभागीय कार्रवाई) की जाएगी।
- यह निर्देश सभी थानों, चौकियों और विशेष इकाइयों को जारी कर दिए गए हैं।
- वर्दी केवल ड्यूटी के समय ही पहनी जा सकती है, निजी गतिविधियों में इसका प्रयोग वर्जित रहेगा।
जनता से अपील
विभाग ने आम जनता से भी अपील की है कि वे यदि किसी पुलिसकर्मी को वर्दी में निजी रील्स या वीडियो बनाते देखें तो इसकी सूचना तुरंत निकटतम थाने को दें या विभाग की हेल्पलाइन पर संपर्क करें। यह निर्णय दिल्ली पुलिस की छवि को और अधिक प्रोफेशनल तथा अनुशासित बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों की राय
विवेकानंद लॉ कॉलेज के क्रिमिनोलॉजी एक्सपर्ट डॉ. नीरज तिवारी का कहना है कि "वर्दी का सामाजिक प्रभाव बहुत बड़ा होता है। अगर पुलिस कर्मी वर्दी में मनोरंजन करते हैं तो यह आम जनता के बीच पुलिस की साख को कमज़ोर कर सकता है। विभाग का यह फैसला स्वागत योग्य है |