बलरामपुर (छत्तीसगढ़)। वाड्रफनगर विकासखंड के गोबरा और बाजरा गांवों में वन विभाग से जुड़े एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जिसमें वनपाल हरिश्चंद यादव पर दर्जनों ग्रामीणों से नकली पट्टे बनाकर लाखों रुपये की ठगी का आरोप है। इस घोटाले में इम्तियाज खान नामक एक बिचौलिये की भी अहम भूमिका सामने आई है।
कैसे रची गई ठगी की कहानी:
आरोप है कि वनपाल यादव ने गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को वनभूमि पर पट्टा दिलाने का झांसा दिया और उनसे नकद में मोटी रकम वसूली गई। न कोई रसीद, न वैध दस्तावेज। ग्रामीणों को बाद में जब शक हुआ और उन्होंने पट्टों की वैधता जांची, तो पता चला कि दस्तावेज फर्जी हैं।
शिकायत के बाद भी लापरवाही:
शिकायतों के बावजूद विभाग ने केवल कुछ ग्रामीणों को पैसा लौटाकर मामले को “त्रुटि” कहकर टालने की कोशिश की है। वहीं, दोषी वनपाल के विरुद्ध न तो कोई FIR दर्ज हुई है और न ही प्रशासनिक निलंबन की कार्रवाई।
ग्रामीणों की मांगें:
- दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और FIR दर्ज हो।
- सभी पीड़ितों को राशि ब्याज सहित वापस मिले।
- जालसाजी की जांच आईटी और राजस्व विभाग से कराई जाए।
- जन-जागरूकता अभियान चलाकर भविष्य की ठगी रोकी जाए।
राजनीतिक चुप्पी और प्रशासनिक दोहरापन:
जनदर्शन और समाधान शिविर जैसे सरकारी दावों के बावजूद अब तक कोई मंत्री या विधायक पीड़ितों से मिलने नहीं पहुंचा है, जिससे जनता में भारी असंतोष है।
कानूनी पक्ष:
यह मामला IPC की कई धाराओं के अंतर्गत आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और सरकारी पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है। यदि जल्द सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भविष्य में गंभीर भ्रष्टाचार को जन्म देगा।
वाड्रफनगर का यह घोटाला प्रशासनिक पारदर्शिता और जनहित के दावों की सच्चाई उजागर करता है। यदि दोषियों पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तो यह जनता के विश्वास को गंभीर चोट पहुंचाएगा।