महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में हो रहा है, जिसकी कुल अवधि 45 दिनों की है।
महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाने का विशेष महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत गहरा है। यह परंपरा पौराणिक मान्यताओं और सनातन धर्म की शिक्षाओं से जुड़ी हुई है। इसके पीछे मुख्य कारण और महत्व निम्नलिखित हैं:
1. पौराणिक मान्यता:
- महाकुंभ का आयोजन उन स्थानों पर होता है, जहाँ अमृत की कुछ बूंदें गिरने की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। यह स्थान हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक हैं।
- संगम, जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है, को अत्यंत पवित्र माना गया है। यहाँ स्नान से पापों का नाश और आत्मा की शुद्धि होती है।
2. धार्मिक महत्व:
- महाकुंभ के स्नान को "मोक्ष प्राप्ति का साधन" माना गया है। यह जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाने का मार्ग है।
- ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इन स्नानों का समय और स्थान ब्रह्मांडीय ऊर्जा का केंद्र होता है, जो आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
3. धर्मग्रंथों में वर्णन:
- धर्मशास्त्रों और पुराणों, जैसे स्कंद पुराण और पद्म पुराण में, महाकुंभ में स्नान का उल्लेख करते हुए इसे सर्वोच्च पुण्यकारी कार्य बताया गया है।
4. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
- महाकुंभ एक ऐसा अवसर है, जहाँ लाखों श्रद्धालु बिना किसी भेदभाव के एकत्रित होकर समानता और भाईचारे का संदेश देते हैं।
- यह एक सामूहिक धर्म-अनुष्ठान है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं की विविधता और एकता को दर्शाता है।
5. अध्यात्म और आत्मशुद्धि:
- स्नान करते समय, श्रद्धालु अपने मन में "हर हर गंगे" का जाप करते हैं, जो मानसिक और भावनात्मक शुद्धिकरण का प्रतीक है।
- यह आत्मा को शुद्ध करने और नई ऊर्जा प्रदान करने का एक साधन माना जाता है।
6. प्राकृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
- महाकुंभ के दौरान संगम के जल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।
- इस पवित्र जल में स्नान से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
महाकुंभ के स्नान में भाग लेने का उद्देश्य केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह आत्मा की गहराई से जुड़ने और एक उच्च आध्यात्मिक अनुभव का अवसर भी है।
पिछले तीन दिनों की प्रमुख घटनाएँ:
13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा):
- महाकुंभ का शुभारंभ हुआ, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया।
- पहला 'अमृत स्नान' (शाही स्नान) संपन्न हुआ, जिसमें 13 अखाड़ों के साधु-संतों ने भाग लिया।
14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति):
- दूसरे 'अमृत स्नान' के अवसर पर लगभग 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, जो एक दिन में सबसे अधिक संख्या का रिकॉर्ड है।
- सभी 13 अखाड़ों के साधु-संतों ने भव्य शोभायात्रा के साथ शाही स्नान किया।
- दूसरे 'अमृत स्नान' के अवसर पर लगभग 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, जो एक दिन में सबसे अधिक संख्या का रिकॉर्ड है।
15 जनवरी 2025:
- श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि जारी रही, जिससे मेले की भव्यता और बढ़ गई।
- मेला प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए।
महाकुंभ 2025 में कुल छह 'अमृत स्नान' निर्धारित हैं, जिनकी तिथियां निम्नलिखित हैं:
- पौष पूर्णिमा: 13 जनवरी 2025
- मकर संक्रांति: 14 जनवरी 2025
- मौनी अमावस्या: 29 जनवरी 2025
- वसंत पंचमी: 3 फरवरी 2025
- माघ पूर्णिमा: 12 फरवरी 2025
- महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025
इन स्नानों के दौरान संगम में डुबकी लगाने का विशेष महत्व है, और लाखों श्रद्धालु इन तिथियों पर पुण्य अर्जित करने के लिए एकत्रित होते हैं।